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आज भ्रष्टाचार के विरुद्ध देश की जनता ने कमर कस ली है, किन्तु कुछ अपने ही लोगों ने ये
प्रश्न उठा रखा है कि हम जनता के लोगों को पहले खुद मे सुधार लाना होगा तब भ्रष्टाचार के
विरुद्ध लडा जाना चाहिये. फिर पहले कौन.. ?
पहले आप (स्वयं हम) या पहले आप (सरकार)….
हम मजबूर,गरीब,अधिकारविहीन (वोट को छोड कर),याचक और आप सत्ताशीन,अधिकारसम्पन्न,
शक्तिशाली .हम अपनी सायकिल से किसी को टक्कर मार दें तो कितना नुकशान होगा आप कार से किसी
को टक्कर मार दे तब ?
स्पष्ट है कि…..
जो जितना ऊँचा पद सत्ता में चाहेगा, उसे उतना ही ज्यादा उत्तरदायी होना होगा.
जनता सबसे नीचे है अतः उसका उत्तरदायित्व सबसे कम है. भ्रष्टाचार की नाली ऊपर से नीचे बहती है,अतः यह ऊपर से ही नियन्त्रित होगा.
आज हम ऊपर वालों कों सुधार लें कल ऊपर वाले हमको सुधार देंगें (अपनी सरकारी मशीनरी से).
हम अकेले रिश्वत देते हैं वो हम जैसे कई लोगों को रिश्वत देने के लिये मजबूर करते है.
हम गलत करते होंगे किन्तु गलत का विरोध कर रहे हैं, वो गलत को सिस्टम को हिस्सा बनाने पर तुले हैं.
अब हमारी कमियों की ओर उँगली उठा कर हमारी आवाज को न दबायें.
भ्रष्टाचार के विरुद्ध सभी बुद्धिजीवियों से यही अनुरोध है कि…..
इस संघर्ष को पहले जनता या पहले सरकार के सुधार की लडाई न बनने दे.
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