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सभी देश वासियों को हार्दिक बधाई
आज 27 अगस्त 2011 को संसद में जन लोकपाल मुद्दे पर अन्तत: चर्चा करते हुए
हमारे माननीयों ने जनता द्वारा प्रस्तुत सभी प्रावधानों पर सैद्धान्तिक सहमति
(Principally Agreed) की मुहर लगा दी.
इस आन्दोलन का उद्देश्य एक ऐसे जन लोकपाल विधेयक की स्थापना है जिसके द्वारा
जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही तय हो. वैसे तो एक लोकपाल विधेयक संसद में पिछले
40 वर्षों से पारित होने की बाट जोह रहा था किन्तु संसद में भ्रष्टाचारियों के बहुमत के कारण
यह मृतप्राय था. झूठे वादे, लुभावने नारों ,क्षणिक भावनाओं आदि के द्वारा जनता से वोट लेने या
छीन लेने के बाद पूरे पांच साल के लिये इन नेताओं का गैंग देश को लूटने के लिये निरंकुश है.
अत: विवश हो कर जनता को ही स्वयं राजधानी दिल्ली में आना पड़ा.
जनता का प्रत्येक वर्ग भ्रष्ट राजनाताओं एवं लालफीताशाही से त्रस्त था । 74 वर्षीय बुजूर्ग,
स्वक्ष छवि, समाज सेवा एवं संघर्ष की प्रतिमूर्ति अन्ना हजारे जी ने जनता की पीड़ा को समझा और
कुछ योग्य एवं ईमानदार सहयोगियों द्वारा इस आन्दोलन का शुभारम्भ किया.
तैयारी, तौर ,तरीका और तमीज़…..
जिस प्रकार से इस आन्दोलन की तैयारी एवं संचालन किया गया वो प्रबन्धन विज्ञान के छात्रों के लिये
शोध का विषय बन सकता है. आधुनिक सूचना एवं संचार माध्यमों का ऐसा कुशलतापूर्वक सदुपयोग
देशहित में पहले कभी नहीं हुआ था. जन लोकपाल विधेयक की आवश्यकता एवं जनता द्वारा प्रस्तुत प्रभावी
जन लोकपाल एवं सरकार द्वारा एक दिखावे का लोक पाल विधेयक के अन्तर को इन्टरनेट,SMS,मोबाइल
फोन द्वारा युवा वर्ग में जागरुकता लायी गयी. मीडिया का साथ भी बढ़िया तरीके से लिया गया.
तौर तरीके अपने भारतीय जनमानस के लिये नये नहीं थे किन्तु इनको पूरी इमानदारी और आत्मविश्वास
के साथ अपनाया गया. तमीज़,शिष्टाचार भी संतोषजनक ही था. छोटी छोटी बातों पर रास्ता जाम,तोड़-फोड़
आदि करने वाले , विभिन्न विचारकों द्वारा दिशाहीनता का आरोप झेलने वाले जोश़ और ऊर्जा से भरे युवा
वर्ग ने जिस प्रकार अपने बुजुर्ग 74 वर्षीय पितामह तुल्य श्री अन्ना हजारे के आदेश का अक्षरश: पालन किया
एवं अपने किसी भूल से उन्हे लज्जित नहीं होने दिया , यह सिद्ध कर दिया कि आज का युवा कितना परिपक्व है.
उपलब्धियाँ……
1. अपनी मांगे मनवा लेना इस आन्दोलन की एक छोटी सफलता है । इस सफल आन्दोलन में हमने अनेक
बड़ी उपलब्धियाँ अर्जित की हैं।
2. पूरी अवधि में आन्दोलन पर पूर्ण नियंत्रण बना रहा। अन्ना हजारे जी एवं उनकी सहयोगियों के रुप में
भारतीय जनमानस को एक निर्विवाद, अराजनैतिक ,विश्वसनीय नेत्रित्व प्राप्त हुआ.
3. उचित उद्देश्य के लिये जन सामान्य के साथ योजनाबध्य तरीके से अहिंसक आन्दोलन में विश्वास को
पुन: बल मिला।
4.बल प्रयोग एवं फूट डालने कर राज करने की कुचेष्टा असफल हुई, अन्ना टीम में कितने दलित और
कितने मुश्लिम हैं, वन्दे मातरम,RSS,अमेरिका से सम्बन्ध आदि अनर्गल मुद्दे उठाने की अक्षम्य घटिया
कुचेष्टा की गयी.
5.इस आन्दोलन ने पूरे भारतवर्ष को एक सूत्र में पुन: बांध दिया.
6.इस आन्दोलन से पूर्व लोकतन्त्र के मात्र चार स्तम्भ थे किन्तु लोक पाल के रुप में एक सोपान भी मिल गया.
यद्यपि आज की सफलता जन लोकपाल विधेयक को पारित कराने की दिशा मे आंशिक सफलता है।
राजनेताओ की कुटिलता देख कर जबतक यह विधेयक कानून नहीं बन जाता हमें निश्चिन्त नहीं बैठना चाहिये।
देश और समाज में बहुत सी समस्याएं मुँह बाए खड़ी हैं किन्तु वर्तमान समय में इस लड़ाई को अधूरा छोड़ कर
किसी और लड़ाई में उलझने से बचना होगा.
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